माता का रूप
लग रही भक्तों की कतार
कृपा करो मां तुम दातार
घंटे तेरे चौरासी बाजे
सजा हुआ तेरा। दरबार
लाल चोला लाल चुनरिया,
शेर सवारी तेरे मन में भाई।
अद्भुत तेरा शृंगार
करती बड़ा चमत्कार ।
लगी रही भक्तों की कतार
कृपा करो मां तुम दातार
लाखों सेवक तेरे माता,
हलवा पूरी तुमको भाता।
भक्त चढ़ाते फूलों का हार,
सब पर माँ करती उपकार।
लगी रहे भक्तों की कतार
कृपा करो मां तुम दातार
दुष्टों का संहार है करती,
सुखी से आंचल सबका भरती।
शक्ति दायिनी आदि भवानी,
लीला तेरी किसी ने ना जानी।
लगी रही भक्तों की कतार
कृपा करो तुम मा दातार।
नौ रूपों में मैया आती,
कल्याण सभी का कर जाती।
दानव तुमसे थरथर कांपे,
काली रूप में जब तुम आती।
कन्या रूप भवानी आती,
मन मुराद पूरी कर जाती ।
पर जरा सोचो करो विचार
कन्या ना जब होगी द्वार
कैसे पूजोगे कंजक आज
तेरी महिमा अपरंपार
कोई इसे ना सके पहचान।
भूल मधु की क्षमा करना,
मंदमती बालक अनजान।
रचनाकार ✍️
मधु अरोरा
Khan
06-Oct-2022 11:44 PM
Bahut khoob 💐👍
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Gunjan Kamal
05-Oct-2022 06:10 PM
शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻
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आँचल सोनी 'हिया'
05-Oct-2022 04:13 PM
Bahut khoobsurat tarike se aapne prastuti kiya hai 💐👍🌹
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